------------------------------------------------------

 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

------------------------------------------------------

वक्त वक्त की बात है

❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी l ❞=वक्त वक्त की बात है,

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो साथ घूमते थे,

आज समय पर वह देखकर, 

दूर से ही घूम जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारे पीछे गाना गाते फिरते थे,

आज वह हमारे  आगे ताना देते फिरते |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमें छोड़ जाने की बात पर घबराते थे,

वह आज हमें छोड़ कर मुस्कुराते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारे हमदर्द बने फिरते थे,

वो आज हमे, सुनने से घबराते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमें अपना जिगरी यार कहते थे,

आजकल वह पीठ पीछे वार करते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो  घंटो बातें करा करते थे,

वो आज  फोन नहीं उठाते है |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारी छोटी-छोटी चीजें याद रखते थे,

आज  वह हमें ही भूल जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारी एक छीक पर सहम जाते थे,

आज वह हमारे दर्द सुनकर सो जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो बिना याद किए मिल जाते थे,

आज वह खोजने पर भी नहीं मिलते |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो हमारी तरक्की पर फूले न समाते थे,

आज वह हमारी कामयाबी से जले फिरते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

जिस्म-जिस्म नहीं सामान लगता है,

कल जो जिंदादिल हुआ करता था,

आज बेजान लगता है |

 

वक्त वक्त की बात है,

कल जो मेहनत से मिलती थी,

आज वह सरेआम हो गई है,

तरक्की आज दुकान का सामान हो गई है |

 

वक्त वक्त की बात है,

जुबान थोड़ी भारी हो गई है,

कल की बड़बोली आज बेजुबान हो गई है |

 

वक्त वक्त की बात है,

आज बंदूक से डरता कहां है कोई,

लोग तो लोगों की बातों से डर जाते हैं |

 

वक्त वक्त की बात है,

हथियार से मरता कहां है कोई

लोग तो आजकल तानों से मर जाते हैं |

राजन केसरी 


❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞ -वक्त वक्त की बात है
वक्त वक्त की बात है

------------------------------------------------------

 ❝ पंक्तियां; कुछ मेरी कुछ तुम्हारी | ❞

------------------------------------------------------